तमन्ना की जवानी है उमंगों का जमाना है
बसंती रूप की रानी तू पुष्पों का खजाना है
यहां से दो घड़ी पहले गया है काफिला तेरा
कदम एके’क ये कहता है वो तेरा दीवाना है
कुमार अहमदाबादी
साहित्य की अपनी एक अलग दुनिया होती है। जहां जीवन की खट्टी मीठी तीखी फीकी सारी भावनाओं को शब्दों में पिरोकर पेश किया जाता है। भावनाओं को सुंदर मनमोहक मन लुभावन शब्दों में पिरोकर पेश करने के लिये लेखक के पास कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। दूसरी तरफ रचना पढ़कर उस का रसास्वादन करने के लिये पाठक के पास भी कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। इसीलिये मैंने ब्लॉग का नाम कल्पना लोक रखा है।
कहता हूं मैं भेद गहन खुल्ले आम कड़वी वाणी करती है बद से बदनाम जग में सब को मीठापन भाता है मीठी वाणी से होते सारे काम कुमार अहमदाबादी
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