नेरेशन
जिस पोस्ट में बहु मांगे इंसाफ की कहानी संक्षेप में बताई थी. उस में एक शब्द नेरेशन का उपयोग किया था. शायद ये शब्द कई पाठकों के लिए नया होगा. नेरेशन कहानी की मुख्य घटना को, आइडिया को बताने को कहते हैं.
मैं ये मानकर लिख रहा हूं की आप में से ज्यादातर वाचकों ने शोले फिल्म देखी होगी. शोले फिल्म की कहानी को संक्षेप में बतानी ही तो कैसे बताएंगे या क्या बताएंगे?
कुछ एसे
शोले
ठाकुर अपने गब्बर द्वारा अपने पूरे परिवार को खत्म करने का बदला लेता है. ठाकुर बदला लेने के लिए *जैसे को तैसा* का तरीका अपनाता है. गब्बर एक खूंखार डाकू है. गब्बर जैसे खूंखार आदमी से लड़ने के लिए ठाकुर शहर से दो मुजरिमों को पैसा देकर बुलवाता है. वे पैसे के बदले गब्बर को जिंदा पकड़कर ठाकुर के हवाले करते हैं. शोले की कहानी कहावत लोहे को लोहा काटता है को भी सच साबित करती है.
सत्ते पे सत्ता का नेरेशन ये होगा. पुरुष चाहे एक हो या एक से ज्यादा; नारी के बिना उन का जीवन पशुओं जैसा ही होता है.
कहा जाता है की एक औरत ही मकान को घर बनाती है. सत्ते पे सत्ता में केंद्र में यही बात यही सूत्र है.
मुकद्दर का सिकंदर
इंसान मूल: इंसान है. जन्म से उस के धर्म का कोई लेना देना नहीं होता. धर्म उसे जन्म के बाद मिलता है. इंसान को जीने के लिए मकसद चाहिए. मकसद पूरा होते ही इंसान वापस धरती की गोद में समा जाता है.
याराना
मैं अमिताभ बच्चन और अमजद खान की याराना मूवी की बात कर रहा हूं. जीवन में सच्चे दोस्त एक दूसरे की लिए कुछ भी कर सकते हैं. अपना सबकुछ दाव पर लगा सकते हैं.
कुमार अहमदाबादी
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