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सोमवार, जुलाई 17

सब जिम्मेदार होते हैं(विचार लेख)

 आजकल एक विशेष विचारधारा के लोग लड़कियों के साथ दुर्घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. एक फिल्म में लड़की अपनी बड़ों से कहती है की तुमने मुझे हमारी संस्कृति के बारे में क्यों नहीं बताया? 

ये एक तरह का पलायनवाद है. क्या एक व्यक्ति विशेष रुप से एक लड़की सिर्फ इसलिए किसी के चंगुल में फंस सकता/सकती है की उसे अपनी पृष्ठभूमि के बारे में कुछ पता नहीं.

अपनी संस्कृति के बारे में मालूम ना होने पर भी लड़की विजातीय पात्र की मंशा, इच्छा व लक्ष्य को तो अच्छी तरह समझ सकती है. कहा जाता है. हर लड़की हर औरत में एक विशेष गुण होता है. जो उसे फौरन बता देता है की कौन सा लड़का या पुरुष उसे किस दृष्टि से देख रहा है. ये गुण होने के बावजूद अगर लड़की लड़के की मंशा को समझने में धोखा खा जाए तो दोषारोपण माता पिता पर क्यों?


 दूसरी महत्वपूर्ण बात,

जिम्मेदारी और प्रशंसा का हकदार सिर्फ एक व्यक्ति नहीं होता. पूरी टीम होती है. परिवार भी एक टीम है एक कंपनी है. एक कंपनी का प्रोजेक्ट सफल या निष्फल होने पर पूरी टीम को यश या अपयश मिलता है. उसी तरह परिवार के किसी भी सदस्य, खास तौर से लड़की के साथ दुर्घटना होने पर पूरा परिवार जिम्मेदार होता है, होना भी चाहिए. लेकिन आज स्थिति ये है कि दोष या तो लड़की पर या विशेष रुप से मां पर डाल दिया जाता है.

कुमार अहमदाबादी

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  कहता हूं मैं भेद गहन खुल्ले आम  कड़वी वाणी करती है बद से बदनाम  जग में सब को मीठापन भाता है  मीठी वाणी से होते सारे काम  कुमार अहमदाबादी