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शनिवार, जुलाई 15

आये हैं आये हैं आये हैं (गरबा)


आये हैं आये हैं आये हैं... हे आज रिवर फ्रंट पर, मां अंबा आये हैं

आओ रे आओ सब खेलनेवालों

अवसर है खेलने का फायदा उठाओ

अंबा मां के साथ गरबे घूमकर

नवदुर्गा के साथ रास खेलकर....... हे ए आये हैं आये हैं आये हैं.. आज रीवर फ्रंट मां दुर्गा आये हैं


धन्य उस का जीवन हो जायेगा

माता के साथ जो गरबे घूमेगा

अंबा मां के साथ आया है कौन

अंबा के साथ मां दुर्गा आये हैं... हे आये हैं आये हैं आये हैं... 

कुमार अहमदाबादी

ये विचार ये ख्याल ये कन्सेप्ट एकदम नया है कि  माता के के विभिन्न रुप रीवर फ्रंट पर गरबा खेलने के लिये आये हैं

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मीठी वाणी क्यों?

  कहता हूं मैं भेद गहन खुल्ले आम  कड़वी वाणी करती है बद से बदनाम  जग में सब को मीठापन भाता है  मीठी वाणी से होते सारे काम  कुमार अहमदाबादी