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बुधवार, जुलाई 5

वापस लौटो(रुबाई)

भाई मेरे वापस लौटो जल्दी

धारा सीधी अपने घर को चल दी

सच कहता हूं कल के भूले को भी

सत्कारेंगे कुमकुम चावल हल्दी

कुमार अहमदाबादी



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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी