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शनिवार, जुलाई 29

पुष्प हाला(रुबाई)

 मनचाही सुगंध पुष्प माला में है 

स्वादिष्ट व श्रेष्ठ स्वाद हाला में है 

चखते ही नहीं कभी जो वो क्या जाने 

क्या स्वाद सुगंध पुष्प हाला में है 

कुमार अहमदाबादी

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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी