काल थो झूमतो आंगणो
आज क्यों है सूनो आंगणो
बेटी ने देर फेरा अबे
बाप सो रो रियो आंगणो
भींत ने नींव पूछी बता
क्यों हुयो खोखलो आंगणो
भींत घाल'र पछे भाई के'
है अबे मोकळो आंगणो
याद परदेस में आय'सी
फूटरो सोवणो आंगणो
कुमार अहमदाबादी
साहित्य की अपनी एक अलग दुनिया होती है। जहां जीवन की खट्टी मीठी तीखी फीकी सारी भावनाओं को शब्दों में पिरोकर पेश किया जाता है। भावनाओं को सुंदर मनमोहक मन लुभावन शब्दों में पिरोकर पेश करने के लिये लेखक के पास कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। दूसरी तरफ रचना पढ़कर उस का रसास्वादन करने के लिये पाठक के पास भी कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। इसीलिये मैंने ब्लॉग का नाम कल्पना लोक रखा है।
આંખમાં આકાશ છે પાંખને વિશ્વાસ છે ટોચતો હું મેળવીશ ગીત મારા ખાસ છે લાગણીને ગીતોમાં વ્યાકરણનો સાથ છે ટોન સેમીટોન* ને છંદ, લય સંગાથ છે દૂધ જો ઉ...
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