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रविवार, जुलाई 16

प्रेम घागा (मुक्तक)


प्रेम से जो दूर भागा

उस का फिर ना भाग जागा

प्रेम है वरदान ईश का

जोड़ता है प्रेम धागा

कुमार अहमदाबादी

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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी