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शनिवार, जुलाई 15

साहित्यिक उत्तर


एक कवि फल खरीदने के लिए बाजार गया. एक ठेले पर उस ने ताजे केले देखे.

अब संयोग की बात ये हुई की वो ठेले वाला भी साहित्य प्रेमी था; यानि साहित्यकारों की तरह मीठी जबान में बात कहने सुनने वाला था. 

कवि ने बहुत मीठे स्वर में ठेले वाले से पूछा ‘भाई, ये केले क्या भाव दिए?’

ठेले वाले ने उत्तर दिया ‘20₹ के तीन है भैया’

कवि ने भाव ताल करने के उद्देश्य से कहा ‘भाई, 10₹ के तीन दे दो’

केले वाले ने कहा ‘भाई साहब, कुछ देर पहले 15₹ वाले भाई की इच्छा भी स्वर्ग को सिधार चुकी है’

कुमार अहमदाबादी

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मीठी वाणी क्यों?

  कहता हूं मैं भेद गहन खुल्ले आम  कड़वी वाणी करती है बद से बदनाम  जग में सब को मीठापन भाता है  मीठी वाणी से होते सारे काम  कुमार अहमदाबादी