मासूम व पवित्र जिंदगानी देखी
कण कण में कथा तथा कहानी देखी
दो चार पलों की जिंदगी में मैंने
ठहराव कभी कभी रवानी देखी
कुमार अहमदाबादी
रवानी = लगातार गतिशील
साहित्य की अपनी एक अलग दुनिया होती है। जहां जीवन की खट्टी मीठी तीखी फीकी सारी भावनाओं को शब्दों में पिरोकर पेश किया जाता है। भावनाओं को सुंदर मनमोहक मन लुभावन शब्दों में पिरोकर पेश करने के लिये लेखक के पास कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। दूसरी तरफ रचना पढ़कर उस का रसास्वादन करने के लिये पाठक के पास भी कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। इसीलिये मैंने ब्लॉग का नाम कल्पना लोक रखा है।
*पुत्रवधू - सवाई बेटी* ये जग जाहिर है. संबंधों में विजातीय व्यक्तियों में ज्यादा तालमेल होता है. सामंजस्य होता है. मान सम्मान ज्यादा होता ह...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें