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शनिवार, जुलाई 29

जिंदगानी देखी(रुबाई)


मासूम व पवित्र जिंदगानी देखी

कण कण में कथा तथा कहानी देखी

दो चार पलों की जिंदगी में मैंने 

ठहराव कभी कभी रवानी देखी 

कुमार अहमदाबादी

रवानी = लगातार गतिशील

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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी