चाँदनी से शान है
चाँद की पहचान है
छेड़ मत ईमान को
कांच का सामान है
आँख मछली की तू देख
लक्ष्य का फ़रमान है
खत्म कर दूँ अँधकार
ज्योति का अरमान है
पा सकेंगे पूर्ण हम
व्योम में जो ज्ञान है
राज बहके या रजा
देश को नुक्सान है
चार बूँदे ही मिले
प्यास का अरमान है
गर कुशल साथी मिले
जिन्दगी वरदान है
ज्ञान के भंडार का
नाम हिन्दुस्तान है
सच कहा तूने 'कुमार'
ये ग़ज़ल गुलदान है
कुमार अहमदाबादी
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