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रविवार, जुलाई 16

दिखण में गोरी है(राजस्थानी ग़ज़ल)

लोग केवे के दिखण में गोरी है         

भायला थारी सगी रंगीली है


मिश्री घोळर गीत गावे ब्यांव में

गीत गावे प्रेम रा गीतारी है              


लूतरा केवे मने जद प्रेम सूं              

यार लागे आ सगी मोजीली है         


भोळी है पण तेज है बोलण में औ'

सुस्त सागे थोडी सी खोडीली है        


आंख में मीठी शरम औ' होठ पर 

मौजीली होळी री फीटी गाळी है       


बात सुण लो थे सगो जी आज तो 

आ सगी केवे सगो जी पेली है           

कुमार अहमदाबादी

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