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रविवार, जुलाई 9

काटती हो जब सब्जी(रुबाई)

 

अपने आप में खोयी रहती तो तुम

हर काम सफाई से करती हो तुम

जब काटती हो सब्जी तन्मय होकर

मासूम बहुत सुंदर लगती हो तुम

कुमार अहमदाबादी

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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी