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मंगलवार, जुलाई 4

सो न सकी (रुबाई )


राखी बेचैन हो गयी सो न सकी
चूड़ी बेचैन हो गयी सो न सकी
सीमा पर शंखनाद के बाद ‘कुमार’
माई बेचैन हो गयी सो न सकी
कुमार अहमदाबादी


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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी