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शनिवार, जुलाई 8

स्वामिनी खड़ी है(रुबाई)


स्वामी की स्वामिनी खड़ी है छत पर

प्रीतम की भामिनी खड़ी है छत पर

बारिश में भीगने का सोचा तब से

सावन में कामिनी खड़ी है छत पर

कुमार अहमदाबादी

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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी